सम्मन का सम्मान और राजनैतिक पुनर्जीवन

जब एक राजनैतिक पार्टी के अध्यक्षा और उपाध्यक्ष  को भ्रष्टाचार के  मामले  में कोर्ट से सम्मन  मिला तो  डायनासोर से भी पुरानी पार्टी  के कार्यकर्त्ता इसे सम्मन के बदले   सम्मान समझने लगे. कुछ वरिष्ठ नेताओ (जो मार्गदर्शक मंडल में रखे जाने की उम्र भी  पार कर चुके है) ने  अपनी  जाती  टीवी पर  बताए  जाने की शर्त पर मीडिया वालो से  कहाँ की , “ये मुद्दा पार्टी में ठीक उसी तरह से जान फूंक सकता हैं जिस तरीके से पार्टी  सत्ता में रहते हुए देश फूंका करती थी और  पार्टी  को इस मामले में  “जीरो -लोस्” होगा”.  लेकिन पार्टी के अध्यक्षा और उपाध्यक्ष , सम्मन  मिलने से ज़्यादा  इस  बात से  दुखी बताए जाते थे की  इस तरह  के  छोटे मामलो मे  नाम उछलने से पार्टी और परिवार की बड़े घोटाले करने की क्षमता पर सवाल न खड़े हो जाये.

पार्टी  के  सारे  कार्यकर्त्ता कोर्ट  में पेशी के दिन का ठीक ऐसे ही इंतज़ार कर रहे थे जैसे  EMI के बोझ तले दबा आम आदमी   हर महीने 1  तारीख  को  मोबाइल में सैलरी क्रेडिट होने के मैसेज  का करता हैं। इस मामले में अपने अध्यक्षा और उपाध्यक्ष का बचाव करने के बजाय न्यूज़ चैनल्स पर पार्टी के सारे  प्रवक्ता  ऐसे  आक्रामक  दिख  रहे थे  मानो उन्हें टीवी  डिबेट करने  नहीं बल्कि टी -ट्वेन्टी  मैच में पावर-प्ले  के दौरान बैटिंग  करने भेजा गया हो। पार्टी  के सारे कार्यकर्ताओ और नेताओ का  आचरण  देखकर लगता  था की  इनके घर के  सारे  “चम्मच”  इनके खिलाफ  मानहानि का दावा ना कर दे।

पूरे देश से कार्यकर्ता ,पार्टी मुख्यालय पर ऐसे जुटने लगे मानो  समुद्र मंथन के बाद वहां अमृत की बुँदे बंट रहीं हो .अन्ना  के भ्रष्टाचार  विरोधी आंदोलन  में लाखो  की  भीड़,  “जंतर -मंतर”  पर जाने  के लिए  उमड़ी थी पर मानो  इस पार्टी के कार्यकर्ताओ की भीड़ अपने नेताओ पर भ्रष्टाचार के आरोप छू -मंतर  करने के लिए  उमड़ी थी।

कोर्ट में  पेशी के दिन,   नेताओ  और कार्यकर्त्ता की  बॉडी लैंग्वेज  देखकर  ये अंदाज़ा  लगाना  मुश्किल था की  उनके  अध्यक्षा और उपाध्यक्ष भ्रष्टाचार के केस में पेशी पर जा रहे हैं या  फिर ” डांस इंडिया डांस” में  ऑडिशन देने .  कोर्ट  जाते समय में  जिस तरह से नेता और कार्यकर्त्ता  अपने अध्यक्षा और उपाध्यक्ष  को  घेर  कर  चल  रहे  थे उससे लगता था की  ये कहीं  अतिउत्साह में गोला बनाकर एकदम  गरबा   ना  खेलने ना जाये।

पार्टी   के  कुछ  जोशीले  सदस्य  आगे , अध्यक्षा और उपाध्यक्ष की तस्वीर हाथ में लिए ” तुझ में  रब  दिखता  हैं”  गाना  गाते  हुए  चल  रहे  थे।   उल्लेखनीय  हैं की  पार्टी से राजसभा टिकट की आस लगाये बैठे कुछ  समाज और देशी सेवी लोग इस गाने को पार्टी का “एंथम-सांग” बनाने  लिए “कई  बार आमरण -अनशन”  भी कर चुके हैं।

कोर्ट पहुँचते ही आरोपियों को  उतनी ही देर में  ज़मानत  मिल गई जितने देर उनको अपनी पार्टी  की अध्यक्षा और उपाध्यक्ष   बनने में लगती हैं और फिर  पार्टी के कार्यकर्ताओ ने इस अभूतपूर्व विजय का  विजयी  जुलुस  निकाला और ज़मीन पर लौट कर “नागिन- डांस” किया ताकि जनता में सन्देश दिया जा सके की पार्टी  और  इसका  नेतृत्व अभी भी ज़मीन से जुड़ा हैं।

 

 

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